ब्लॉग पर पधारने का हार्दिक धन्यवाद। यदि आप "वैश्य समाज" का अंग हैं तो आज ही ब्लॉग पर समर्थक बनकर अपना योगदान दें और यदि आप कवि, साहित्यकार अथवा लेखक हैं तो ब्लॉग पर लेखन के माध्यम से समाज सेवा में सहभागी बनकर नई दिशा दें। "अखिल भारतीय वैश्य कवि संगम" में सम्मिलित होने पर हम आपका स्वागत करते हैं। हमारा ई-मेल samaj1111@gmail.com है।

सोमवार, 31 जनवरी 2011

कवि का दुःख (पुरस्कृत कविता)

अगर
भूल जाऊँ कविता लिखना तो
शीत की तरह
उभर आएँगे
स्मृति पटल पर
तमाम दुःख
शोक और
मानवीय संवेदनाओं के
मिले‌‌-जुले भाव
और
तब
हवा के थपेड़ों से पिटती हुई
अनिश्चित गंतव्य की ओरचलती हुई नाव
और
उसमें प्रथम बार यात्रा कर रहे
सहमे हुए यात्री की आँखों से
निकल आएँगे अश्रु
और
पेट में उठेगा
ज्वार-भाटे सा दर्द
माथे पर होंगे
तपते हुए मिश्रित भाव
तब
शर्म से
समा जाएगी धरती
आकाश में या
पुनः स्मरण हो आएगी
कवि को कविता।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें