अखिल भारतीय वैश्य कवि संगम
(वैश्य समाज के कवि और लेखकों के लिए खुला मंच)
मंगलवार, 5 अगस्त 2014
डॉ सुधीर गुप्ता "चक्र" को "तुलसी सम्मान" प्राप्त
मित्रों प्रणाम, आप सबके स्नेह से मुझे तुलसी जयंती पर भोपाल के हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में दिनांक 3 अगस्त 2014 को मध्य प्रदेश तुलसी साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2014 का "तुलसी सम्मान" प्रदान किया गया। संबंधित चित्र संलग्न है।
डॉ सुधीर गुप्ता "चक्र"
बुधवार, 19 जून 2013
पत्नी का फोटो
एक दिन दफ्तर में
मेरी एक मात्र
पत्नी का
बिना सूचना के
आगमन हुआ
उसके चेहरे पर
गुस्सा देख
मुझे
तूफान के पहले की
आंधी का आभास हुआ
अचानक
उसका हाव-भाव बदल
गया
गुस्से से लाल
चेहरा
फूल सा खिल गया
उसका
पाकिस्तान की तरह
इतनी जल्दी बदलाव
मेरी समझ में
नहीं आया
जब मैंने इसका
कारण पूछा
तो
मुस्कुराकर बोली
हे मेरे प्राणनाथ
मैं आपको कितना
गलत समझती थी
आपकी टेबिल पर
सुन्दर फ्रेम में
जड़ी हुई अपनी फोटो देखकर
मुझे आज पता चला
आप यूँ ही आहें
नहीं भरते हैं
मुझसे कितना
प्यार करते हैं
पति बोला
यह तुम्हारा भ्रम
है
टेबिल पर
तुम्हारी
फोटो लगाने का तो
दूसरा ही कारण है
तुम तो जानती हो
कि
मैं जनसम्पर्क
अधिकारी हूँ
प्रतिदिन
अच्छे और बुरे
लोगों से
मेरा पाला पड़ता
है
किसी-किसी दिन तो
लड़ना भी पड़ता है
तब किसी काम में
नहीं लगता है मन
इसलिए हो जाती है
टेंशन
तुम्हारी
फोटो पास रहेगी
तो
यह आभास होगा
क्या
तुमसे भी बड़ा कोई
टेंशन होगा
इस तरह
टेंशन की समस्या
सुलझ जायेगी
और
मेरी नौकरी आराम
से कट जायेगी।
गुरुवार, 7 मार्च 2013
स्त्री-पुरूष
तुम (पुरूष)
सहज सकते हो
केवल
अपना अहम्
वह (स्त्री) सहेजती है
पीड़ा और दर्द
पुरूष शब्द
तुम्हारे मस्तिष्क
और
तुम्हारी सोच को
खाली कर चुका है
विपरीत इसके
स्त्री भरी रहती है हमेशा
अपनी आंखों में आँसू
क्योंकि
इकठ्ठा करना जानती है वह
भरी रहती हैं हमेशा
उसकी दोनों आँखें
इसलिए तो
पलकें नम रहती हैं
और
उसके सुख
जगह नहीं मिलने पर
लौट जाते हैं खाली हाथ
पुरूष से स्त्री का
भेद सिर्फ इतना है
कि
स्त्री
वह शब्द है
जब
कहा जाए
परिभाषा लिखो दुःख की
तो
मात्र एक शब्द ही पर्याप्त है
“स्त्री”।
सहज सकते हो
केवल
अपना अहम्
वह (स्त्री) सहेजती है
पीड़ा और दर्द
पुरूष शब्द
तुम्हारे मस्तिष्क
और
तुम्हारी सोच को
खाली कर चुका है
विपरीत इसके
स्त्री भरी रहती है हमेशा
अपनी आंखों में आँसू
क्योंकि
इकठ्ठा करना जानती है वह
भरी रहती हैं हमेशा
उसकी दोनों आँखें
इसलिए तो
पलकें नम रहती हैं
और
उसके सुख
जगह नहीं मिलने पर
लौट जाते हैं खाली हाथ
पुरूष से स्त्री का
भेद सिर्फ इतना है
कि
स्त्री
वह शब्द है
जब
कहा जाए
परिभाषा लिखो दुःख की
तो
मात्र एक शब्द ही पर्याप्त है
“स्त्री”।
महिला दिवस पर विशेष
आज महिला दिवस है। मेरी ओर से नारी शक्ति को हार्दिक
शुभकामनाएँ।
आप इस बात का स्मरण करें कि एक विकलांग व्यक्ति है। वह
प्रतिदिन अपनी दैनिक दिनचर्या के सभी कार्य भलीभांति करता है इसलिए वह यह भूल चुका
है कि वह विकलांग है। लेकिन जब भी वर्ष में एक बार विकलांग दिवस मनाया जाता है तब
उसे अहसास होता है कि मैं विकलांग हूँ। ठीक इसी प्रकार से जब बराबरी की बात की
जाती है तब महिलाओं को क्यों अहसास कराया जाता है कि वह महिला हैं? यह परम सत्य है कि वह
महिला हैं किंतु सृष्टि के इस सच को दोहराने की क्या आवश्यक्ता है?
आज महिलाओं के विषय में जो तर्क दिये जाते हैं वह बेमानी
साबित हो रहे हैं। मैं केवल एक ही तर्क रखता हूँ उस पर जरा सोचिए- कि नारी को आप
किस रूप में मान्य करते हैं? नारी अभिशाप है अथवा वरदान? मत भिन्न हो सकते हैं पर निःसंदेह
जो भी जीव अथवा निर्जीव किसी को कुछ देता है तो वह वरदान ही हो सकता है अभिशाप
नहीं। नारी ने ब्रह्माण्ड की अमूल्य धरोहर मानव शक्ति को जन्म दिया है। नारी जब
हमें कुछ दे रही है तब वह वरदान ही है। ऐसे पुरूष जिनकी सोच का दायरा नारी के
प्रति सीमित है उनके लिए मैं कहना चाहता हूँ कि वह यदि सीता जैसी पत्नी चाहते हैं
तो अपने आचरण में राम जैसे संस्कार भी लाएँ।
अंत में अपनी बात को विराम देने से पहले यह कहना चाहता हूँ कि महिलाओं का
सम्मान मात्र महिला दिवस और कागजों तक ही न रहे। अपितु नारी के सम्मान को अपने
जीवन में आत्मसात करके संकल्प लें कि केवल महिला दिवस के दिन ही नहीं बल्कि
प्रत्येक दिन नारी का सम्मान हो। मैं दावा करता हूँ कि आप प्रयास तो कीजिए आपकी
भावनाएँ स्वतः ही बदल जाएंगी।
सोमवार, 31 दिसंबर 2012
नव वर्ष की बधाई
हमारे एक मित्र
हैं बड़े विचित्र
एक जनवरी को हमसे बोले -
"चक्र" जी
नव वर्ष की बधाई !
हमने कहा
बड़े अजीब हो,
बिना सोचे समझे ही बधाई
आपको
देने मै ज़रा भी शर्म नहीं आयी ?
अरे,
नव वर्ष जब भी आता है
केवल
वर्ष ही तो नया रहता है
लेकिन
समस्याएँ पुरानी दोहराता है !
समस्याओं की श्रेणी में
प्रथम क्रमांक
रोटी का आता है
विश्वाश करो,
एक दिन तो ऐसा आएगा
जब
मोनो एक्टिंग करके
कोरी कल्पना से पेट भरना होगा,
तब
हम अपने बच्चों को बताएंगे
कि
रोटी एक इतिहास है
और
उसकी कहानियां सुनाएंगे !
यह सुनकर
हमारे बच्चे भी
रोटी के भूतकालीन अस्तित्व पर
विशवास नहीं कर पाएंगे !
मेरे भाई,
बधाई का क्या है -
नव वर्ष की
सिर्फ निष्ठा बदल जाती है
और
मौक़ा देखकर
उसकी भी नीयत बदल जाती है !
जिस दिन
महंगाई कम हो जाएगी
उस दिन मैं
घी के दिये जलाऊंगा
और
सच मानो
आपको नव वर्ष की बधाई देने अवश्य आऊँगा |
शनिवार, 24 नवंबर 2012
मंगलवार, 14 अगस्त 2012
स्वतंत्रता दिवस
मैंने मित्र से पूछा
क्या बात है
हमसे छुप रहे हो
बहुत खुश दिख रहे हो?
मित्र बोला-
हाँ
मैं आज बहुत खुश हूँ
इसलिए
देशभक्ति के गीत गा रहा हूँ
और
स्वतंत्रता दिवस मना रहा हूँ
मैंने कहा
लेकिन
आज तो स्वतंत्रता दिवस नहीं है!
मित्र बोला
यह सही है
कि
आज स्वतंत्रता दिवस नहीं है
लेकिन-
मुझे इस बात का गम नहीं है
क्योंकि
पत्नी का मायके जाना भी
किसी
स्वतंत्रता दिवस से कम नहीं है।
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