( त्रिपदा अगीत---अगीत विधा कविता का एक छंद है--- तीन पंक्तियाँ , प्रत्येक में १६-१६ मात्राएँ , तुकांत बंधन नहीं )
मिटा सके भूखे की हसरत,
दो रोटी भी उपलब्ध नहीं ;
क्या करोगे ढूंढ कर अमृत |
ज़िंदगी की डोर लम्बी है,
थामना भी आना चाहिए;
हंसाने का बहाना चाहिए |
बहस तत्व ज्ञान के लिए है,
झगड़े मिटाने के लिए है;
न कि मारा मारी के लिए |
प्रीति-प्यार में नया नहीं कुछ ,
वही पुराना किस्सा यारो;लगता शाश्वत नया नया सा |
कल तुमने जो हंसी हंसी में,
बातों बातों में कह डाला ;
अपना ही वो अफसाना था |
दीवान लिखना चाहते थे,
शोखियों पर आपकी हम तो;
अदाओं में उलझे रह गए |
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जवाब देंहटाएंधन्यवाद योगेश जी....आपकी शायरी ...अच्छे ज़ज़्वात हैं..
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