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गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

कुकर

कुकर में
चावल चढाने के बाद
पतिदेव घंटों खड़े रहे
सीटी के इंतजार में अड़े रहे
मगर
सीटी नहीं आई
तभी
बाजार से उनकी पत्नी आई
पत्नी के आते ही
कुकर ने
तुरन्त सीटी बजाई
यह देख
पतिदेव गुस्से में बोले
आजकल के
लड़के तो लड़के
कमबख्त
कुकर भी
अपनी हरकतों से बाज नहीं आते हैं
पत्नी के आते ही
तुरन्त सीटी बजाते हैं ।

फिल्मों का असर

कमला ने
विमला से कहा
मुझे
फिल्म देखने से डर लगता है
सुना है
महिलाओं पर इसका
बुरा असर पड़ता है
क्योंकि
जब मैंने देखी थी फिल्म
“राम और श्याम”
मेरे होश उड़ गए
एक साथ
दो लड़के हो गए
सुनते ही विमला ने
कमला की बात को प्रमाणित करते हुए
अपनी चुप्पी तोड़ी
और
धीरे से बोली
मेरी तो मारी गई थी मती
मैंने भी देखकर फिल्म
“गंगा, यमुना और सरस्वती”
इस बात को परख लिया
क्योंकि
मुझे भी हुईं थीं
एक साथ तीन लड़कियाँ
यह सुनकर
पास खडी रानी
सुनाने लगी अपनी कहानी
और
मचाते हुए शोर
बोली
हाय राम
मेरा क्या होगा
मैंने तो देखी थी फिल्म
“अली बाबा और चालीस चोर” ।

घरेलू मंत्रीमंडल

नई बहू
जब ससुराल आई तो
सास फूली नहीं समाई
लेकिन
भविष्य में बहू हावी न हो
सोचकर सास घबराई
तो उसने
कूटनीति से काम लिया
भारतीय नेताओं को आदर्श मान लिया
और
बहू से कहा
सुनो स्नेहा
मेरे पास इस घर का वित्त मंत्रालय है
तुम्हारे ससुर ने गृह मंत्रालय चुना है
बेटी योजना मंत्री और
छोटा बेटा विदेश मंत्री बना है
तुम्हारे पति ने
खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री की भूमिका निभाई है
लेकिन
तुम कौन सा विभाग संभालोगी
अपनी योजना
अभी तक नहीं बताई है
तुम हमारी बहू हो
इसलिए
स्वयं अपना विभाग चुनो
हमने
यह अधिकार तुम्हें दिया है
चतुर बहु ने तुरन्त कहा
अब मंत्रीमंडल में कुछ नहीं बचा है
इसलिए
मैंने विपक्ष में बैठना पसंद किया है ।

चश्मा

प्रेमिका को पाने के लिए
प्रेमी ने कहा
प्रिय
तुम्हारे खूबसूरत चेहरे पर जो
माइनस फाइव का चश्मा लगता है
बिल्कुल नहीं जमता है
इसे लगाने से
तुम्हारी खूबसूरती भी
माइनस फाइव हो गई है
इसलिए
ऐसा करो
अपने जीवन से ही
चश्मे को माइनस करो
और
बिना चश्में के
कुछ नहीं दिखेगा
इस बात की चिन्ता मत करो
मैं तुम्हारे काम आऊँगा
जहाँ भी जाना होगा
हाथ पकड़कर ले जाऊँगा
प्रेमिका बोली
खबरदार
मैं हूँ
तुमसे ज्यादा समझदार
इडियट
नॉनसेन्स
कल से लगाऊँगी मैं
कॉन्टेक्ट लेन्स।

प्रिय हीरोइन

मैं और मेरी बीवी
देख रहे थे टी वी
टी वी देखने का कारण था यूँ
हमारा मनपसन्द कार्यक्रम
फिल्मों हस्तियों का आ रहा था इंटरव्यू
पत्नी के साथ हम भी ले रहे थे आनंद
संचालन कर रहे थे देवानंद
मंच पर
बलखाती हुई एक हसीना आई
आते ही मुस्कुराई
कोशिश करने पर भी
जब मैं उसे पहचान नहीं पाया
तो मैंने दिमाग पर जोर लगाया
पत्नी बोली
दिमाग पर इतना जोर डालने की
क्या है जरूरत
यह है आपकी प्रिय हीरोइन मल्लिका शेरावत
और
आपकी आँखें इसे
इसलिए नहीं पहिचान पाई हैं
क्योंकि
आज यह पूरे कपड़े पहनकर आई है।

कॉल गर्ल

कलयुगी बेटे ने
आधुनिक पिता से कहा
डेडी
इधर आओ
कॉल गर्ल
किसे कहते हैं
बताओ
सुनते ही
पिता सकुचाया
बेटे के निकट आया
और बोला
बेटा धर्मेन्दर
तुमने सुना होगा
शहरों में होते हैं
टेलीफोन के कॉल सेंटर
वहाँ काम करतीं हैं जो गर्ल
उन्हें कहते हैं कॉल गर्ल
लेकिन बेटे
कोई भी प्रश्न
यूँ ही
खुले आम नहीं पूछते
अच्छा यह बताओ
तुम्हें
यह प्रश्न कहाँ से सूझा
बेटा बोला
हमें मत सिखाओ
पहले आप बताओ
यह उत्तर
आपको कहाँ से सूझा।

वाशिंग मशीन

नाराज पत्नी
मुझे देखकर
मुँह मोड़ने लगी
वाशिंग मशीन सही थी
फिर भी
हाथ से कपड़े निचोड़ने लगी
मैं समझ गया
आज मेरी खैर नहीं।

भाई

पान वाले ने
नेताजी को आवाज लगाई
सुनो भाई
कहाँ से आ रहे हो
बिना मिले ही जा रहे हो
नेताजी पान वाले के पास आए
गुस्से में तिलमिलाए और बोले
तुमने मुझे
भाई क्यों कहा
पान वाला बोला
क्यों नाराज होते हैं
अरे
हम पान में चूना लगाते हैं
आप पब्लिक को चूना लगाते हैं
इस नाते
हम आपके भाई कहलाते हैं।

एन्टी वायरस

तुम
जब भी झूठ बोलते हो
मेरे दिल में
वायरस आ जाता है
इसका “एन्टी वायरस”
बाजार में नहीं ढूँढना पड़ता है
बस
झूठ की जगह
सच बोलना पड़ता है।

पासवर्ड

मैं
तुम्हें
अपने दिल में बसाकर
पासवर्ड डालना चाहता हूँ
सच तो यह है
कि
पासवर्ड भी भूलना चाहता हूँ।

कंट्रोल

तुम
माउस पर
उंगली चलाती रहो
मैं करसर बनकर
स्क्रीन पर दिखूंगा
ताकि
तुम्हारे कंट्रोल में रह सकूं।

दिल का पासवर्ड

सब कहते हैं
मेरी मेमोरी तेज है
लेकिन
मैं कहता हूँ
कि
मैं भुलक्कड़ हूँ
देखो न
जब से तुम
मेरे दिल में बसी हो
दिल का पासवर्ड भूल गया हूँ।

नया वायरस

मेरे दिल के पी सी में
नया वायरस आ गया है
स्केन करने पर
तुम्हारे पिता
और
भाई का नाम बता रहा है।

माँ का अपराधी

माँ
जब-जब तुम
मेरे सिर पर हाथ फेरती हो
मैं
तुम्हारा अपराधी बन जाता हूँ
क्योंकि
सिर पर हाथ फेरते समय
तुम्हारे मन में
मेरे लिए
एक डर होता है
और
मैं तुम्हें
डराना नहीं चाहता।

गीला, सिकुड़ा आँचल

माँ
तुम्हारे आँचल में सिकुड़न है
माँ
तुम्हारा आँचल गीला भी है
मैं समझ गया माँ
मैं रात भर
चैन से सोता रहा
और तुम
मुझे देख-देख कर
रोती हुई
मेरे लिए
रात भर हसीन सपने बुनती रहीं
तुम्हारे रोदन से
मैं कहीं जाग न जाऊं
इसलिए
तुमने मुँह में
कपड़ा ठूंस लिया होगा
तभी तो
तुम्हारा आँचल सिकुड़ा और
गीला हुआ होगा।

माँ की उम्मीद

सुबह आठ बजे
ड्यूटी पर जाते समय
माँ
द्वार तक छोड़ने आती है
और
वह जानती है
कि
अब मैं शाम को
पाँच बजे ही घर आऊंगा
लेकिन
फिर भी वह
मेरे जाते ही
उम्मीद लगाती है
कि
मैं बस
आने ही वाला हूँ
उसे कोई समझा भी नहीं सकता
क्योंकि
वह माँ है।

वह माँ है

मैं
अब कमाने लगा हूँ
फिर भी
वह
कुछ रूपये दे देती है मुझे
चिन्ता है उसे
वो माँ है न।

माँ की याद

जब भी
मैं घर से निकलता हूँ
माँ
करती है चिन्ता
और
लाद देती है
ढेरों सामान
फिर भी न जाने
क्यों लगता है
कि
घर पर कुछ छोड़ आया हूँ
हाँ
याद आया
माँ को छोड़ आया हूँ।

माँ की खातिर

गरीब माँ
होंसलों के पेड़ में
धैर्य के फल पकाती है
और
भूखे बच्चों की तसल्ली के लिए
पतीले में पत्थर उबालती है
चूल्हे में जलती
लकड़ी की तरह
माँ का दिल न जले
इसलिए
समझदार बच्चे भी
माँ की खातिर
झूठ-मूठ सो जाते हैं
इस तरह
माँ और बच्चे
एक-दूसरे की खातिर
सारा जीवन गुजार देते हैं।

अनमोल खत

ढेरों
खतों के बीच
एक बार में ही
पहचान लेता हूँ मैं
अपना
वह अनमोल खत
क्योंकि
उस खत के अंत में
लिखा होता है
तुम्हारी माँ।

आखिरी निवाला

माँ
माँ होती है
पुत्र
पुत्र होता है
माँ के हाथ से
पहले निवाले में ही
पुत्र का पेट भर जाता है
और
माँ है कि मानती ही नहीं है
क्योंकि
उसका हर निवाला
आखिरी निवाला होता है।

माँ का आशीर्वाद

ज्योतिषी ने कहा
दुर्घटना का योग है
घर से नहीं निकलना
फिर भी
मैं
निडर होकर निकला
विश्वास है मुझे
कुछ नहीं होगा
क्योंकि
माँ का आशीर्वाद मेरे साथ है।

माँ से बड़ा

माँ
नहीं मिली मुझे
तुम्हारे लिए कोई उपमा
नहीं बांध सका कोई
तुम्हें शब्दों में
तम्हीं बताओ
यदि कोई हो
माँ से बड़ी कोई उपमा
माँ से बड़ा कोई शब्द।

तुम्हारे लिए

टकराया था
सारे जमाने से मैं
तुम्हारे लिए।

सच

तुम कथा हो
मैं तो लघुकथा हूँ
यही सच है।

झूठ

झूठ न बोलो
थोड़ा सा मुँह खोलो
सच तो बोलो।

तोड़ दिया है

तोड़ दिया है
चूर-चूर करके
तुमने मुझे।

कागज वाली नाव

सहेजती है
कागज वाली नाव
बचपन को।

सच या झूठ

सच या झूठ
सही-सही बताओ
न कतराओ।

गंगा की पावन धारा

गंगा की पावन धारा तुम, आओ अब मेरे द्वारे।
हर गीत निखर जाये मेरा, तुम आओ जब मेरे द्वारे॥
            मैं पलक पावणे बैठा था,   
            मेरा अपना भी कोई आयेगा।
            ऐसा ही मैं भी गीत कोई लिखूँ,
            पत्थर मूरत हो जायेगा॥
यह गीत सिंधु सा हो जाये, तुम आओ जब मेरे द्वारे।
गंगा की पावन धारा तुम, आओ अब मेरे द्वारे॥
            तू तुलसी की रामायण,
           
मैं प्रेमचंद की रंगशाला।
            तू गा‌लिब की गजल बनें,
           
बच्चन की मैं भी मधुशाला॥
गीतों को सरगम मिल जाये, तुम आओ जब मेरे द्वारे।
गंगा की पावन धारा तुम, आओ अब मेरे द्वारे॥
            तुम वृहद कोष हो शब्दों का,
           
मैं एक शब्द में हो गया।
            अब तन मेरा मथुरा का यौवन,
           
मन वृन्दावन हो गया॥
हर गीत ही गीता हो जाये, तुम आओ जब मेरे द्वारे।
गंगा की पावन धारा तुम, आओ अब मेरे द्वारे॥

मन बौरा गया

पा लिया जब से तुम्हें, मन मेरा बौरा गया है।
क्या इसी को प्यार कहते, क्या यही जीवन नया है॥
            दे मुझे सजनी निमंत्रण,
           
स्वप्न की बेला में आयी।
            मिल गये उपहार अनुपम,
           
प्रीत ने डोली सजायी॥
पा लिया उपहार जब से मन में, कुछ-कुछ हो गया है।
क्या इसी को प्यार कहते, क्या यही जीवन नया है॥
            है अधर मुस्कान लाली,
           
नयन में मधुमास छाया।
            ली कसम जब से तुम्हारी,
           
दीप मन का जगमगाया॥
ले रहा अंगड़ाई मौसम, याद कोई आ गया है।
क्या इसी को प्यार कहते, क्या यही जीवन नया है॥
            बज उठे नुपूर कहीं पर,
           
दूर कोई गा रहा है।
            रंग जीवन के संजोये,      
            पास कोई आ रहा है॥
गीत अधरों पर मिलन का, आज कोई आ गया है।
क्या इसी को प्यार कहते, क्या यही जीवन नया है॥

हंसीदार दोहे

बुढि‌या साठ साल की, करती सौ श्रंगार।
निकल गयी अब पैठ में बूढे‌ खायें पछार॥
जोड़-तोड़ कुछ भी करो बढ़ते जाओ यार।
राजनीति में जायज है, गठबंधन सरकार॥
रोज सिनेमा जाईये, साली गले लगाये।
पत्नी पीछे अब चले, दो आंसू टपकाये॥
दफ्तर इन्कम टेक्स के, अध्यापक अब जाये।
कुर्ता पज्जमा फाड़कर, हाल बेहाल बनाये।।
बोतल पीकर झूमते, अब घर कू हम जाये।
उतर जायेगा सब नशा, बेलन देय सरकाये॥
पत्नी बेलन मारकर, करे कमर पर चोट।
थाने में कर देखिये, नाहिं कोई रपोट॥
शायर गजल सुनायके, सब कू करता बोर।
हमको देखो मिल गया, वंशमोर घनघोर॥

सांत्वना

वह
शादी के बाद
मुझे अपना
अच्छा दोस्त मानने लगा
सभी ने बधाई दी
मैंने तो केवल
सांत्वना दी थी। 

नेता चुनाव

चेयरमैन के चुनाव में
दो पार्टियां खड़ी हुईं
एक थी धनुष-बाण
दूसरी थी कृपाण
एक नेताजी
धनुष बाण चढ़ाए
दूसरे नेताजी के सम्मुख गुनगुनाए
मार दिया जाये कि छोड़ दिया जाए
बोल तेरे साथ क्या सुलूक किया जाए।