अब कुछ लिखा जाता नहीं |
बेखुदी में हम हैं डूबे,
कुछ ख्याल आता नहीं ||
उनके ख्यालों की अतल-
गहराइयों में डूब कर |
होश खो बैठे हैं हम,
अब होश से नाता नहीं ||
उनका उठना, बैठना-
चलना, मचलना, उलझना,
बेरुखी और वो रूखे -
अंदाज़ से लट झटकना;
और लिपट रहना ,
मेरी यादों से अब जाता नहीं ||
अब तो बस उस शोख के ,
दीदार का है इंतज़ार |
उनकी इस तस्वीर से ,
अब दिल बहल पाता नहीं ||
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