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बुधवार, 15 जून 2011

क्या लिखूं कैसे लिखूं ...कविता ...डा श्याम गुप्त....


क्या लिखूं कैसे लिखूं
अब कुछ लिखा जाता नहीं |
बेखुदी में हम हैं डूबे,
कुछ ख्याल  आता नहीं ||

उनके ख्यालों की अतल-
गहराइयों में डूब कर |
होश खो बैठे हैं हम,
अब होश से नाता नहीं ||

उनका उठना, बैठना-
चलना, मचलना, उलझना,
बेरुखी  और वो रूखे -
अंदाज़ से लट झटकना;
और लिपट रहना ,
मेरी  यादों से अब जाता नहीं ||

अब  तो बस उस शोख के ,
दीदार का है इंतज़ार |
उनकी इस तस्वीर से ,
अब दिल बहल पाता नहीं ||
    

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