पा लिया जब से तुम्हें, मन मेरा बौरा गया है।
क्या इसी को प्यार कहते, क्या यही जीवन नया है॥
दे मुझे सजनी निमंत्रण,
स्वप्न की बेला में आयी।
मिल गये उपहार अनुपम,
प्रीत ने डोली सजायी॥
पा लिया उपहार जब से मन में, कुछ-कुछ हो गया है।
क्या इसी को प्यार कहते, क्या यही जीवन नया है॥
है अधर मुस्कान लाली,
नयन में मधुमास छाया।
ली कसम जब से तुम्हारी,
दीप मन का जगमगाया॥
ले रहा अंगड़ाई मौसम, याद कोई आ गया है।
क्या इसी को प्यार कहते, क्या यही जीवन नया है॥
बज उठे नुपूर कहीं पर,
दूर कोई गा रहा है।
रंग जीवन के संजोये,
पास कोई आ रहा है॥
गीत अधरों पर मिलन का, आज कोई आ गया है।
क्या इसी को प्यार कहते, क्या यही जीवन नया है॥
क्या इसी को प्यार कहते, क्या यही जीवन नया है॥
दे मुझे सजनी निमंत्रण,
स्वप्न की बेला में आयी।
मिल गये उपहार अनुपम,
प्रीत ने डोली सजायी॥
पा लिया उपहार जब से मन में, कुछ-कुछ हो गया है।
क्या इसी को प्यार कहते, क्या यही जीवन नया है॥
है अधर मुस्कान लाली,
नयन में मधुमास छाया।
ली कसम जब से तुम्हारी,
दीप मन का जगमगाया॥
ले रहा अंगड़ाई मौसम, याद कोई आ गया है।
क्या इसी को प्यार कहते, क्या यही जीवन नया है॥
बज उठे नुपूर कहीं पर,
दूर कोई गा रहा है।
रंग जीवन के संजोये,
पास कोई आ रहा है॥
गीत अधरों पर मिलन का, आज कोई आ गया है।
क्या इसी को प्यार कहते, क्या यही जीवन नया है॥
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